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खेत की तैयारी: सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह में हल से चार से पाँच बार जोताई कर देनी चाहिये, जिससे 25 सेंटीमीटर गहराई तक खेत तैयार हो जाए हल्की तथा अच्छी जुती मिट्टी में आलू कंद अधिक बैठते हैं| प्रत्येक जुताई के बाद पाटा दे देने से मिट्टी समतल तथा भुरभूरी हो जाती है एवं खेत में नमी का संरक्षण भी होता है| अंतिम जुताई के साथ हीं 20 टन प्रति हेक्टर सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में देकर बराबर मिला देने से पैदावार में काफी वृद्धि हो जाती है| मिट्टी: दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टियाँ जिसमें जैविक पदार्थ की बहुलता हो आलू की खेती के लिए उपयुक्त है| अच्छी जल निकासवाली, समतल और उपजाऊ जमीन आलू की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है|
19 December 2022