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हमारे द्वारा होम गार्डन की मिट्टी में बीज लगाए जाने पर उसे सफलतापूर्वक अंकुरित (Germinate) होने के लिए आवश्यक परिस्थितियों की जरूरत होती है, अन्यथा बीज उगने में असमर्थ रहता है। वातावरण अंकुरण प्रक्रिया के विपरीत होने पर बीज अंकुरित नहीं हो पाते और अगर बीज उगने लगते हैं तो वह पौधे तैयार होने से पहले ही मर जाते हैं, इसीलिए पौधे लगाने के लिए सबसे आवश्यक व प्राथमिक चरण बीज अंकुरण की प्रक्रिया है, जो पौधे के स्वस्थ विकास को निर्धारित करता है। बीज से पौधा बनने की प्रक्रिया में बीज लगाते समय अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है, गमले में बीज लगाने के बाद बीजों के अंकुरण के लिए आवश्यक परिस्थितियां और अंकुरण को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं, जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
गार्डन या गमले की मिट्टी में अच्छी तरह बीज से पौधा बनने के लिए विभिन्न परिस्थितियों जैसे उचित मात्रा में पानी, ऑक्सीजन, तापमान और प्रकाश इत्यादि की आवश्यकता होती है। जब इन स्थितियों को पूरा किया जाता है तब बीज का कोट खुल जाता है और बीज से एक रूट या रेडिकल (root or radical) उभरता है, जिससे बीज अंकुरित होते हैं पौधे के विकास का यह प्रारंभिक चरण अंकुरण या जर्मिनेशन (germination) कहलाता है। अंकुरण के लिए विपरीत वातावरण और आवश्यक परिस्थितियों के अभाव में बीज अच्छी तरह नहीं उग पाते। आइये जानते हैं, बीज अंकुरण प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में :
पर्यावरणीय कारण अर्थात् वे परिस्थितियाँ जिनको नियंत्रित करना हमारे वश में नहीं होता, लेकिन कुछ तरीकों को अपनाकर हम इनके प्रभावों को कम कर सकते हैं। बीज की अंकुरण दर को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख पर्यावरणीय कारण निम्न हैं:
अंकुरण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है, तापमान। अधिकतर बीजों को अंकुरित होने के लिए 18℃-30℃ के मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ ऐसे बीज भी हैं जिन्हें विशेष रूप से 5℃-40℃ के बीच कम या उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। बीज अंकुरण के लिए आदर्श तापमान न मिलने पर बीज नष्ट हो सकते हैं या बीज अंकुरण प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
नोट – कम या अधिक तापमान अंकुरण की गति को निर्धारित करता है, अगर आपके आस-पास का वातावरण और मिट्टी का तापमान अधिक होगा तो बीज अंकुरण तेजी से होगा अन्यथा बीज अंकुरित होने में अधिक समय लग सकता है।
बीज के अंकुरण के लिए नमी एक प्राथमिक व महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि यह बीज अंकुरण की शुरूआत होने के लिए रासायनिक क्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मिट्टी में कम या अधिक नमी का होना बीज के अंकुरण में बाधा खड़ी कर सकता है क्योंकि मिट्टी या ग्रोइंग मीडियम में नमी की कमी के कारण बीज रासायनिक क्रियाएं शुरू नहीं कर पाएगा, इसके विपरीत अत्याधिक नमीं से बीजों के सड़ने की सम्भावना होती है। बीज अंकुरण प्रक्रिया में उचित नमी (पानी) का होना निम्न कार्यों के लिए आवश्यक है, जैसे:
आपने अक्सर सुना होगा कि बीजों को उचित और निर्धारित गहराई पर लगाया जाना चाहिए, क्योंकि अधिक गहराई पर लगे हुए बीज मिट्टी से ऑक्सीजन (हवा) नहीं ले पाते, फलस्वरूप बीज अंकुरित होने में असफल हो जाते हैं। अतः अच्छे अंकुरण के लिए बीजों को उचित गहराई पर लगाया जाना चाहिए तथा मिट्टी या पॉटिंग मिक्स को पोरस (वातित) तथा ऊचित जल निकासी युक्त होना चाहिए, जिससे बीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।
नोट – अंकुरित बीज मिट्टी में निहित हवा से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं।
अधिकतर बीजों को अँधेरे स्थान पर या इनडोर अंकुरित करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ बीज ऐसे होते हैं जो आंशिक धूप में उगना (अंकुरित होना) पसंद करते हैं, इसीलिए अंकुरण के समय अपने बीज की अंकुरण आवश्यकताओं के अनुसार उसे पर्याप्त सूर्यप्रकाश देना सुनिश्चित करें, प्रकाश की आवश्यकताएं पूरी न होने पर बीज सही से अंकुरित नहीं हो पाते हैं।
बीज अंकुरण की प्रक्रिया में हवा, पानी इत्यादि के अलावा एक और महत्वपूर्ण कारक है माध्यम, जिसमें हम अपने बीज को लगाते हैं। जैसे कई बीजों को मिट्टी के अलावा कोकोपीट, रेत, कोको कॉइन इत्यादि में अंकुरित किया जाता है। बीज अंकुरण के लिए अच्छी जलधारण क्षमता वाली जैविक खाद युक्त मिट्टी का उपयोग करना चाहिए, ताकि सीडलिंग को बढ़ने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सकें।
किसी भी प्रकार के बीज को अंकुरित होने के लिए उसका जीवित होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, कभी-कभी बीज को सही तरीके से स्टोर (Store) न किये जाने के कारण या बीज की भौतिक क्षति और टूटने-फूटने के कारण बीज मृत हो जाता है, ऐसे बीजों को लगाने के बाद कितनी ही अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध करा दी जाएं, बीज अंकुरित नहीं होगा।
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