Radish agribegri

Radish cultivation agribegri
Radish agribegri

मूली की खेती

 

  1. मूली एक जल्दी उगने वाली और सदाबहार फसल है। मूली विटामिन बी 6, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीश्यिम और रिबोफलेविन का मुख्य स्त्रोत है। इसमें एसकॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड और पोटाश्यिम भी भरपूर मात्रा में होता है।
  2. मूली के अच्छे स्वाद के लिए 10-15 सेंटीग्रेड का तापमान आवश्यक है। यदि तापमान 25 सेंटीग्रेड से अधिक हो जाता है, तो पत्तियों की संख्या आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है और मूली कड़वी और कठोर हो जाती है।
  3. मूली को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन  रेतीले दोमट और भुरभुरी मिट्टी को बहुत अच्छा माना जाता है। इस प्रकार की मिट्टी जड़ों के विकास के लिए बहुत अच्छी है। चिकनी मिट्टी इसके लिए अच्छी नहीं है क्योंकि इसमें जड़ों का आकार बिगड़ जाता है और यह विभिन्न शाखायों मे बंट जाती हैं। इसे हल्की अम्लीय मृदा में (5.5 से 6.8 पीएच) भी उगाया जा सकता है।

किस्म/प्रजाति -

क्र.

किसम

बुवाई का समय

मूली पकने का समय

1

इफको बाज़ार पर उपलब्ध

एफ-1 सफेदी और एफ–1 उजला

अगस्त- नवंबर

सितंबर- दिसंबर

2

पूसा हिमानी (40 से 70 दिनों में तैयार)

दिसंबर-फरवरी

जनवरी-अप्रैल

3

पंजाब पसंद (45-50 दिनों में तैयार)

मार्च का दूसरा

पखवाड़ा

अंतिम अप्रैल-मई

4

पूसा चेतकी (45-50 दिनों में तैयार)

अप्रैल-अगस्त

मई से सितंबर

5

पंजाब सफेद मूली -2, पंजाब पसंद, जापानी व्हाइट

मध्य सितंबर-अक्तूबर

अक्टूबर-दिसंबर

6

जापानी व्हाइट (55-60 दिनों में तैयार)

नवंबर-दिसंबर

दिसम्बर-जनवरी

7

पालम हृदय (40-45 दिनों में तैयार)

सितंबर-नवंबर

अक्टूबर-दिसंबर

8

व्हाइट आइसिकिल, रैपिड रेड, व्हाइट टिप्ड व पूसा मृदुला (25-30 दिनों में तैयार)

अक्तूबर-दिसंबर

नवंबर- जनवरी

9

अगेती मूली की एशियाई किस्में- जापानी व्हाइट, पूसा चेतकी, हिसार मूली-1, कल्याणपुर-1

सितंबर

अक्तूबर


बीज-

बीज दर

बीज उपचार (बुवाई से पहले)

बुवाई का तरीका  (मेड़ों पर)

4-5 कि.ग्रा. प्रति एकड़

5- 10 मि.ली. तरल कॉन्सोर्टिया प्रति किलो बीज (आवश्यकतानुसार पानी में घोलकर बीजों के साथ मिलाएं और छाया में सुखाकर बुवाई करें।

मेड़ों की दूरी- 30-45 सें.मी.

बीज की गहराई- 1.5 सें. मी.

छ्ंटाई के बाद पौधों की दूरी- 7.5 सें.मी


जैविक खाद (प्रति एकड़)-

पोषक तत्व

मात्रा

समय

गोबर की खाद

(अच्छी तरह से गली हुई)

4-5 टन

पूरी मात्रा जुताई के समय

जैव उर्वरक (तरल कॉन्सोर्टिया)

300-400 मिली.

50-100 किग्रा. मिट्टी /बालू /कम्पोस्ट खाद में अच्छी तरह से मिलाकर बुवाई के समय या 24 घंटा पूर्व खेत में डालें


उर्वरक (प्रति एकड़)-

पोषक तत्व

मात्रा

समय

उर्वरकों का चुनाव - I

उर्वरकों का चुनाव - II

नाइट्रोजन

25-30 कि.ग्रा

-आधी मात्रा बुवाई के समय/खेत तैयार करते समय

-शेष आधी मात्रा मिट्टी चढ़ाते समय

55-65 किलो यूरीया

45 किलो यूरीया

फास्फोरस

12-16 कि.ग्रा

पूरी मात्रा बुवाई के समय/खेत तैयार करते समय

75 किलो सिंगल

सुपर फास्फेट

50 किलो इफको एन पी के (10-26-26)

पोटैशियम

12-16 कि.ग्रा

पूरी मात्रा बुवाई के समय/खेत तैयार करते समय

20 किलो मयूरिएट ऑफ पोटाश


पौध विकास प्रोत्साहक-

  • फसल के अच्छे प्रारंभिक बढ़वार और जड़ों के विकास के लिए समुंदरी शैवाल से बने पौध विकास प्रोत्साहक सागरिका का इस्तेमाल जरूर करें।

उत्पाद

मात्रा

समय

सागरिका Z++दानेदार

8-10 किलोग्राम प्रति एकड़

बुवाई के समय

सागरिका तरल

250 मि.ली. प्रति एकड़ प्रति 100 लीटर

बुवाई के 20-25 दिन


सिंचाई-

  1. बुवाई के समय नमी आवश्यक है।
  2. सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई दें।
  3. सिंचाई आधी मेड़ तक करें ताकि पूरी मेड़ भुरभुरी व नमीयुक्त बनी रहे।

खरपतवार नियंत्रण-

  • बुवाई से पहले पेंडीमेथलीन 30 EC का 1200 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव (इफको बाज़ार पर जाकीयामा के नाम से उपलब्ध)

जैविक फसल सुरक्षा-

मृदा जनित और वायु जनित रोग

1-2 लीटर त्रिगुण 3-इन-1

+

1-2 लीटर आल राउंडर +

1000 किग्रा रूडी खाद/फार्म यार्ड खाद / वर्मीकम्पोस्ट या 200 किग्रा नीम की खली में इन्हें मिलाएं और 15 से 20 दिनों के लिए छाया में

रखें। इस मिश्रण की 20-25% नमी बनाए रखें। इस

मिश्रण को बुवाई या रोपण से पहले 1 एकड़ में समान रूप से फैलाएं।

कीट

एज़ा पावर +

या

नीरंज जेल

इन्में से कोई भी 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर कीट के दिखाई देने पर छिड़काव करें।

 


Posted 2 years ago

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