मिर्च की खेती

मिर्च की खेती
मिर्च की खेती

मिर्च

किस्में- पूसा सदाबहार, ज्वाला, अर्का लोहित, अर्का सफल, अर्का श्वेता, अर्का हरिता,मथानिया लौंग, पंत सी-1, पंत सी-2, जी-3, जी-5, हंगेरियन वैक्स (पीले रंग वाली), जवाहर 218, आर.सी.एच. -1, एल.सी.ए.-206।

तापमान- 15-35 डिग्री सेल्सियस

मिट्टी- अच्छे जल निकास वाली एवं कार्बनिक युक्त प्रदार्थ बलुई-लाल दोमट मिट्टी

पी-एच मान- 5.6 से 6.8


नर्सरी (पौधशाला) की तैयारी - 

  • गर्मी की फसल के लिए- फरवरी-मार्च
  • खरीफ फसल के लिए- जून-जुलाई

बीज दर (प्रति एकड़)

बीज उपचार (बुवाई से पहले)

बुवाई का तरीका  (बैड पर)

संकर किस्में- 100-120 ग्राम

4 ग्राम ट्राईकोडर्मा या 2 ग्राम यामाटो/कैप्टॉन प्रति किलो बीज

+

5-10 मि.ली. तरल कॉन्सोर्टिया प्रति किलो बीज

3 मीटर लंबे, 1 मीटर चौड़े और 15 सैं.मी. ऊंचे बैड

पंक्तियों की दूरी- 5-7 सें.मी.

बीज की गहराई- 1 सें.मी.

सामान्य किस्में- 400-600 ग्राम

सबसे पहले फफूंदनाशक से बीजोपचार करें और उसके 2-4 घंटे बाद जैव उर्वरक से करें और छाया में सुखाकर उसी दिन बुवाई करें।

नर्सरी में कीटों की रोकथाम के लिए 2 ग्राम फोरेट 10 वर्गमीटर की दर से जमीन में मिलाएं या मिथाइल डिमेटोन/ एसीफेट 1 मि.ली./लीटर पानी का पौधों पर छिड़काव करें।


खेत की तैयारी- रोपाई से पहले खेत की 4-5 बार अच्छे तरीके से जुताई और समतल करें। फिर आवश्यकतानुसार आकार के बैड बनाएं।

मृदा उपचार-

  • मृदा उपचार हेतु 100 किलोग्राम फार्मयार्ड खाद (गोबर की सड़ी खाद) में 1 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर और 300-400 मिली जैव उर्वरक (तरल कॉन्सोर्टिया) मिलाएं और इसे 7 दिनों तक पॉलीथिन से ढक दें। नमी बनाये रखने के लिए बीच बीच में इस ढेर पर पानी छिड़कें और हर 3-4 दिनों के अंतराल में उलटायें और फिर बुवाई के समय या 24 घंटा पूर्व खेत में में मिला दें।
  • ट्राईकोडर्मा से आपको कई प्रमुख रोगों जैसे झुलसा, डम्पिंग ऑफ, उकठा, जड़ गलन, जड़ विगलन, पत्तों पर धब्बे आदि से निजात मिलती है।

रोपाई-

जड़ उपचार

रोपाई का तरीका

रोपाई से पहले जड़ों को 15 मिनट के लिए 20 ग्राम प्रति लीटर ट्राइकोर्डमा और 0.5 मि.ली. प्रति लीटर इमिडाक्लोप्रिड में डुबोयें। इससे आप फसल को उखेड़ा रोग और रस चूसने वाले कीटों से बचा सकते हैं।

  • बुआई के 4-5 सप्ताह बाद
  • गर्मी की फसल- पंक्तियों की दूरी 60 सें.मी. और पौधों की दूरी 30-45 सें.मी.
  • खरीफ की फसल-
    • संकर किस्में- पंक्तियों की दूरी 60 सें.मी., पौधों की दूरी 45 सें.मी.
    • सामान्य किस्में- पंक्तियों की दूरी 45 सें.मी., पौधों की दूरी 45 सें.मी.
  • रोपाई शाम के समय करें।
  • रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई कर दें।

जैविक खाद -

पोषक तत्व

मात्रा (प्रति एकड़)

समय

गोबर की खाद (अच्छी तरह से सड़ी हुई)

8-10 टन

पूरी मात्रा जुताई के समय


उर्वरक (प्रति एकड़)-

पोषक तत्व

मात्रा

समय

उर्वरकों का चुनाव - I

उर्वरकों का चुनाव - II

नाइट्रोजन

28 कि.ग्रा

-आधी मात्रा अंतिम जुताई के समय

30 किलो यूरीया

8-14 किलो यूरीया

-शेष आधी रोपाई के 30 व 45 दिनों के बाद डालें एवं तुरंत सिंचाई कर दें।

30 किलो यूरीया

30 किलो यूरीया

फास्फोरस

20-24 कि.ग्रा

पूरी मात्रा अंतिम जुताई के समय

125-150 किलो सिंगल सुपर फास्फेट

75-100 किलो इफको एन पी के (10-26-26)

पोटैशियम

20-24 कि.ग्रा

पूरी मात्रा अंतिम जुताई के समय

33-40 किलो मयूरिएट ऑफ पोटाश


जल घुलनशील उर्वरक-

उर्वरक

मात्रा (प्रति एकड़)

समय

हयूमिविक पावर+

1-2 ग्राम प्रति  लीटर पानी

शुरुआती बढ़वार के समय

एन पी के (19-19-19) + सागरिका

2.5-3 ग्राम + 2.5 मिली प्रति लीटर पानी

रोपाई के 10-15 दिन बाद

बोरॉन (20%)

1 ग्राम प्रति लीटर पानी

रोपाई के 40-45 दिन बाद

पोटाशियम नाइट्रेट (13-0-45) सागरिका

4-5 ग्राम + 2.5 मिली प्रति लीटर पानी

फूल आने के समय (एक से दो बार दोहराएँ)

मोनो पोटाशियम फास्फेट (0-52-34) + सागरिका

4-5 ग्राम + 2.5 मिली प्रति लीटर पानी

फल बनने के समय (एक से दो बार दोहराएँ)


खरपतवार नियंत्रण-

  • आवश्यकतानुसार 2-3 बार निराई गुड़ाई करें।
  • बुवाई से पहले पेंडीमेथलीन 30 EC का 1200 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें (इफको बाज़ार पर जाकीयामा के नाम से उपलब्ध)।
  • इसके छिड़काव से पहले मिट्टी मे नमी होनी चाहिए।

सिंचाई

  • अधिक पैदावार लेने के लिए सही समय पर पानी लगाना बहुत जरूरी है।
    • गर्मियों में-  हर 3-4 दिन बाद
    • सर्दियों में-  हर 12-15 दिन बाद
  • कोहरे/पाले से बचाने के लिए लगातार हल्की सिंचाई दें और मिट्टी में नमी बनाये रखें।
  • फूल निकलने और फल बनने के समय सिंचाई बहुत जरूरी है।
  • पानी खड़ा होने से रोकें, क्योंकि मिर्च की फसल खड़े पानी को सहने योग्य नहीं है।

जैविक फसल सुरक्षा-

मृदा जनित और वायु जनित रोग

1-2 लीटर त्रिगुण 3-इन-1

+

1-2 लीटर आल राउंडर +

फसल में सभी प्रकार के फफुंदजनित तथा बैक्टिरियाजनित रोगों और निमाटोड (सुत्रकर्मी) की निवारक रुप से रोकथाम के लिए

1000 किग्रा रूडी खाद/फार्म यार्ड खाद / वर्मीकम्पोस्ट या 200 किग्रा नीम की खली में इन्हें मिलाएं और 15 से 20 दिनों के लिए छाया में रखें। इस मिश्रण की 20-25% नमी बनाए रखें। इस मिश्रण को बुवाई या रोपण से पहले 1 एकड़ में समान रूप से फैलाएं।

कीट

एज़ा पावर +

या

नीरंज जेल

इन्में से कोई भी 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर कीट के दिखाई देने पर छिड़काव करें।


Posted 2 years ago

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