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मिर्च
किस्में- पूसा सदाबहार, ज्वाला, अर्का लोहित, अर्का सफल, अर्का श्वेता, अर्का हरिता,मथानिया लौंग, पंत सी-1, पंत सी-2, जी-3, जी-5, हंगेरियन वैक्स (पीले रंग वाली), जवाहर 218, आर.सी.एच. -1, एल.सी.ए.-206।
तापमान- 15-35 डिग्री सेल्सियस |
मिट्टी- अच्छे जल निकास वाली एवं कार्बनिक युक्त प्रदार्थ बलुई-लाल दोमट मिट्टी |
पी-एच मान- 5.6 से 6.8 |
नर्सरी (पौधशाला) की तैयारी -
बीज दर (प्रति एकड़) |
बीज उपचार (बुवाई से पहले) |
बुवाई का तरीका (बैड पर) |
संकर किस्में- 100-120 ग्राम |
4 ग्राम ट्राईकोडर्मा या 2 ग्राम यामाटो/कैप्टॉन प्रति किलो बीज + 5-10 मि.ली. तरल कॉन्सोर्टिया प्रति किलो बीज |
3 मीटर लंबे, 1 मीटर चौड़े और 15 सैं.मी. ऊंचे बैड पंक्तियों की दूरी- 5-7 सें.मी. बीज की गहराई- 1 सें.मी. |
सामान्य किस्में- 400-600 ग्राम |
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सबसे पहले फफूंदनाशक से बीजोपचार करें और उसके 2-4 घंटे बाद जैव उर्वरक से करें और छाया में सुखाकर उसी दिन बुवाई करें। |
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नर्सरी में कीटों की रोकथाम के लिए 2 ग्राम फोरेट 10 वर्गमीटर की दर से जमीन में मिलाएं या मिथाइल डिमेटोन/ एसीफेट 1 मि.ली./लीटर पानी का पौधों पर छिड़काव करें। |
खेत की तैयारी- रोपाई से पहले खेत की 4-5 बार अच्छे तरीके से जुताई और समतल करें। फिर आवश्यकतानुसार आकार के बैड बनाएं।
मृदा उपचार-
रोपाई-
जड़ उपचार |
रोपाई का तरीका |
रोपाई से पहले जड़ों को 15 मिनट के लिए 20 ग्राम प्रति लीटर ट्राइकोर्डमा और 0.5 मि.ली. प्रति लीटर इमिडाक्लोप्रिड में डुबोयें। इससे आप फसल को उखेड़ा रोग और रस चूसने वाले कीटों से बचा सकते हैं। |
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जैविक खाद -
पोषक तत्व |
मात्रा (प्रति एकड़) |
समय |
गोबर की खाद (अच्छी तरह से सड़ी हुई) |
8-10 टन |
पूरी मात्रा जुताई के समय |
उर्वरक (प्रति एकड़)-
पोषक तत्व |
मात्रा |
समय |
उर्वरकों का चुनाव - I |
उर्वरकों का चुनाव - II |
नाइट्रोजन |
28 कि.ग्रा |
-आधी मात्रा अंतिम जुताई के समय |
30 किलो यूरीया |
8-14 किलो यूरीया |
-शेष आधी रोपाई के 30 व 45 दिनों के बाद डालें एवं तुरंत सिंचाई कर दें। |
30 किलो यूरीया |
30 किलो यूरीया |
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फास्फोरस |
20-24 कि.ग्रा |
पूरी मात्रा अंतिम जुताई के समय |
125-150 किलो सिंगल सुपर फास्फेट |
75-100 किलो इफको एन पी के (10-26-26) |
पोटैशियम |
20-24 कि.ग्रा |
पूरी मात्रा अंतिम जुताई के समय |
33-40 किलो मयूरिएट ऑफ पोटाश |
जल घुलनशील उर्वरक-
उर्वरक |
मात्रा (प्रति एकड़) |
समय |
1-2 ग्राम प्रति लीटर पानी |
शुरुआती बढ़वार के समय |
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2.5-3 ग्राम + 2.5 मिली प्रति लीटर पानी |
रोपाई के 10-15 दिन बाद |
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1 ग्राम प्रति लीटर पानी |
रोपाई के 40-45 दिन बाद |
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4-5 ग्राम + 2.5 मिली प्रति लीटर पानी |
फूल आने के समय (एक से दो बार दोहराएँ) |
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4-5 ग्राम + 2.5 मिली प्रति लीटर पानी |
फल बनने के समय (एक से दो बार दोहराएँ) |
खरपतवार नियंत्रण-
सिंचाई
जैविक फसल सुरक्षा-
मृदा जनित और वायु जनित रोग |
1-2 लीटर त्रिगुण 3-इन-1 + 1-2 लीटर आल राउंडर + |
फसल में सभी प्रकार के फफुंदजनित तथा बैक्टिरियाजनित रोगों और निमाटोड (सुत्रकर्मी) की निवारक रुप से रोकथाम के लिए 1000 किग्रा रूडी खाद/फार्म यार्ड खाद / वर्मीकम्पोस्ट या 200 किग्रा नीम की खली में इन्हें मिलाएं और 15 से 20 दिनों के लिए छाया में रखें। इस मिश्रण की 20-25% नमी बनाए रखें। इस मिश्रण को बुवाई या रोपण से पहले 1 एकड़ में समान रूप से फैलाएं। |
कीट |
या |
इन्में से कोई भी 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर कीट के दिखाई देने पर छिड़काव करें। |
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